थका सी जातीं ये यादें 


हमें  बुलाते, हम आ जाते 
यादों में क्यों, क्या जीना ?
थका सी जातीं, ये यादें 
घुट-घुट आंसू, ये पीना ।1।

रहना था जब, दिल के पास ही 
दूर निकल गए, जाने कहाँ क्यों 
दिल में जगह, दी थी 
रह जाते 
मुश्किल ना, होता जीना 

थका सी जातीं, ये यादें 
घुट-घुट आंसू, ये पीना ।2।

ख़ता हुयी, जो भी मुझसे 
एक बार को तो, कह सकते थे?
नाचीज़ के तो, सब कुछ तुम ही थे 
तन, जीवन, मरना-जीना ।3।

बस लौट अभी, आ जाओ 
अब, मुश्किल लगता 
तुम बिन जीना 

थका सी जातीं, ये यादें 
और घुट-घुट आंसू, ये पीना ।4।

-0_0- हिमांशु राय 'स्वव्यस्त' -0_0-


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