समझ सका तो पार है
लड़ेगा जो हर बात में
विवाद नजर आएगा
जिंदगी फंसाद में
मुकाम गुजर जाएगा
आन बान शान ये
मकान भी लड़ायेगा
वकील थानेदार
वो दीवान भी लड़ायेगा
बात से जुबान का
ये घात भी लड़ायेगा
जो बात धर्म की छिड़ी
समाज बर्गलाएगा
न माने गर तू बात
खुद का बाप बड़बड़ायेगा
या मान ली जो बात
दर, वो भूत तेरे आएगा
लड़ेगा जो हर बात में
विवाद नज़र आएगा
मानना तुझे सही
गलत है क्या
है बेफिजूल
समझ सका तो पार है
नहीं तो दुःख अपार है
दीवार ये बाजार
रोजगार भी लड़ायेगा
लड़ेगा जो हर बात में
विवाद नज़र आएगा
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