बादल यादें भर-भर लाया

बादल यादें भर-भर लाया 
तन्हाई का मौसम छाया 
छम-छम करता कहर बरसता
दिल की आह! से मन भर आया 

बादल यादें भर-भर लाया

नींद रात की उड़-उड़ जाती 
अश्क़ों ने लब-पलक भिंगाया 
चैन दिवस भर नहीं एक पल 
आशाओं से मन अकुलाया 

बादल यादें भर-भर लाया

तम के तीन प्रहर जा निकले
स्वप्न में शोक ने विघ्न लगाया 
जोर-जोर अति     सिसक रहा कोई 
कहता प्यार किया क्या पाया ?

बादल यादें भर-भर लाया  | | 

 

-0_0- हिमांशु राय 'स्वव्यस्त' -0_0-

 

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