Posts

Showing posts from July, 2017
आज़ के अखबारों में बड़े-बड़े शहरों में ग़ालिब अखबारों में क्या छपता ! देश का बनिया लूट चवन्नी परदेशों में जा छिपता [१ ]   सरकारें अफ़रा-तफ़री में बैंक बड़े बेहाल पड़े देश-देशान्तर तू-तू मैं-मैं जनता ले अख़बार पढ़े [२ ] डुब गई लुटिया, वातिल-गमन की  नेता जी के क्या छटका? मरती तो बदहाल किसानी भारत का सोना मरता [३]   आज़ के अख़बारों में ग़ालिब न्याय छोड़ सब कुछ छपता [४] 'स्वव्यस्त'