अलविदा कह जिन्दगी

अलविदा कह, जिन्दगी

बीती बिताई बातों को 

अब चैन से

दो पल सुला

तन्हा कटे ना

रातों को ।1।



अरे कौन दोषी, कौन अपने?

समझे ना 

जज्बातों को जब

आने थे, आए गये

जो, होनहारी थी, हुयी

क्या याद करना, आहें भरना?

सुन सका ना,

कोई जब ।2।



अब जाग जा मन

होश धर

दोहरा ना पिछली 

मातों को

दे अलविदा कह जिन्दगी

मुस्कान भर, जज्बातों को ।3।


-0_0- हिमांशु राय 'स्वव्यस्त' -0_0-

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