आओ सब मिल एक हों हम

बातें ऊँची, ऊँचे मक़सद

नीच हरकत हो गयी

हमने देखा काफ़िलों को

मौत लेकर सो गयी


सब मरे कातिल, पुजारी

आशिकी के फुलझड़ी

मौत खाकर ख़ाक़ हँसती

है क्या तेरी हेकड़ी ?


कह रहे जितने गए सब

बच सके न बन पड़ी

पाक हो नापाक सब-पर

मौत ये दर-दर खड़ी


गर एक क्षण ही जिंदगी है

क्यों न खुशियां बाँट दें ?

आओ सब मिल

एक हों हम

खाईयोँ को पाट दें



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