मैं



छायादित अन्तस्तर मेरा 
कारण ये नश्वर काया 
जैसे, पूर्ण-प्रकाश-विमुख
दीपक 
कारण सर्वस 
निज 
की काया 
मैं तो स्वेत, प्रकाश मात्र बस 
अँधियारा ये तन लाया 
मैं सुत अजर-अमर, आजन्मा 
नश्वर जीवन, छल,माया


-0_0- हिमांशु राय 'स्वव्यस्त' -0_0-

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